प्रशिक्षण के छठी हफ्ता है। नवीँ कक्षा के निरीक्षण के लिए जायकृष्णा जी दो बार आयी। पहली बार मैं नहीं सोचा जी आएगा या नहीं। उस दिन मैंने नवीँ कक्षा के ' पक्षी और दीमक ' कहानी ले लिया। कक्षा के बारे में अच्छी comment लिखी थी। लेकिन दूसरे दिन कक्षा निरीक्षण के लिए आये तो मुझे पता लगा लेकिन मुझे आत्मविश्वास की कमी थी। व्याकरण सिखाने के लिए मैंने निगमन विशिष्ट को अपनाया। ये सिद्ध हो चुकने के बाद अध्यापिका आगमन विधि को अपनाने की मार्गदर्शन दिया।